यदि आप घर ख़रीदने पर विचार कर रहे हैं या रियल एस्टेट में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो आपको Goods and Services Tax (GST) के बारे में जानकारी होना बेहद ज़रूरी है। GST ने भारत में कर ढांचे को सरल बना दिया है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेंगे कि अलग-अलग प्रकार की संपत्तियों पर GST की दरें कैसी हैं और वे घर ख़रीदने वालों को कैसे प्रभावित करती हैं।
1. GST दरें
- किफायती आवास के लिए GST दर केवल 1% है।
- गैर-किफायती आवासीय संपत्ति के लिए GST दर 5% है।
- वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए GST दर 12% है।
- सभी निर्माणाधीन संपत्तियों पर 12% GST लगता है।
- पूर्णत: निर्मित संपत्तियाँ GST के दायरे से बाहर हैं।
2. घर ख़रीददारों पर प्रभाव
GST के लागू होने से कर ढांचे में सरलता आई है, क्योंकि इसमें कई अलग-अलग करों (जैसे सेवा कर, वैट, स्टाम्प शुल्क, और पंजीकरण शुल्क) को एक ही GST दर में समाहित कर दिया गया है। इससे ख़रीददारों के लिए लागत कम हो गई है, क्योंकि पहले निर्माणाधीन संपत्तियों पर विभिन्न करों का भुगतान करना पड़ता था।
3. Input Tax Credit (ITC)
आवासीय संपत्तियों के निर्माण से जुड़े कुछ सामान और सेवाओं पर ITC लागू नहीं होता है। इससे ख़रीददारों की कुल लागत पर प्रभाव पड़ सकता है।
4. वाणिज्यिक संपत्तियाँ
अक्टूबर 2024 से, यदि वाणिज्यिक संपत्ति के मालिक GST के तहत पंजीकृत नहीं हैं, तो लीज़ पर रहने वाले किरायेदारों को 18% GST का भुगतान करना होगा। यह टेनेन्ट पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) लागू करेगा।
5. सस्ते आवास के लिए पात्रता
महानगरीय क्षेत्रों में, कारपेट एरिया अधिकतम 60 वर्ग मीटर तक हो सकता है, जबकि अन्य शहरों और कस्बों में यह 90 वर्ग मीटर तक हो सकता है। सस्ते आवास के लिए बिल्डर की तरफ से 45 लाख से अधिक का चार्ज नहीं किया जा सकता।
6. सामान्य GST संरचना
भारत में GST कई श्रेणियों में विभाजित है:
- केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST)
- राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST)
- संघ शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (UTGST)
- समेकित वस्तु एवं सेवा कर (IGST)
इस जानकारी के साथ, अब आप अपने रियल एस्टेट निवेश को और अधिक जानकारीपूर्ण और लाभदायक बना सकते हैं। GST ने न केवल कर ढांचे को सरल बना दिया है बल्कि घर ख़रीदने वालों के लिए लागत को भी कम किया है, जिससे उनके लिए घर खरीदना और अधिक सुलभ हो गया है।
7. GST के आर्थिक प्रभाव के उदाहरण
GST के लागू होने के बाद से रियल एस्टेट क्षेत्र में कई बदलाव देखे गए हैं, जो ख़रीददारों और विक्रेता दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, मान लें कि एक व्यक्ति एक निर्माणाधीन अपार्टमेंट ख़रीद रहा है जिसकी कीमत 50 लाख रुपये है। निर्माणाधीन संपत्ति होने के कारण, उनके लिए 12% की दर से GST लागू होगा, जो 6 लाख रुपये होगी। यदि जीएसटी नहीं होता, तो उन्हें सेवा कर, वैट आदि का अलग से भुगतान करना पड़ता, जिससे उनकी कुल लागत ज्यादा हो जाती।
दूसरी ओर, संपूर्ण रूप से निर्मित फ्लैट, जिस पर GST नहीं लगता, का फायदा लेने के लिए ग्राहक बिना GST भुगतानों के सीधे रजिस्ट्रेशन और स्टाम्प ड्यूटी पर फोकस कर सकते हैं। इससे वित्तीय योजना सरल हो जाती है।
8. ITC के उपयोग का उदाहरण
एक रियल एस्टेट डेवलपर ने परियोजना के लिए निर्माण सामग्री पर GST का भुगतान किया है। उन्हें ITC नहीं मिलने पर इसका असर घर की अंतिम कीमत पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, अगर डेवलपर ने 20 लाख रुपये की सामग्री ख़रीदी जिस पर 18% GST (3.6 लाख रुपये) लगा था, और उन्हें ITC नहीं मिलता, तो इस लागत को वे घर की कुल कीमत में जोड सकते हैं। इससे ख़रीददारों के लिए घर महंगा हो सकता है।
9. वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए GST प्रभाव का उदाहरण
अगर एक कॉर्पोरेट व्यक्ति किसी वाणिज्यिक स्थान को लीज़ पर लेता है और उनके ऊपर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत 18% GST लागू होता है, तो उनके खर्चों में यह बड़ी वृद्धि हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि मासिक किराया 1 लाख रुपये है, तो 18,000 रुपये प्रति माह का GST भी देना होगा। इस मामले में, यह अतिरिक्त खर्च उनके परिचालन बजट पर सीधा प्रभाव डाल सकता है।
10. सस्ते आवास की उपलब्धता के उदाहरण
दिल्ली जैसे महानगर में 60 वर्ग मीटर कारपेट क्षेत्र के साथ एक सस्ता फ्लैट, 45 लाख रुपये की सीमा में उपलब्ध है, पर GST सिर्फ 1% (45,000 रुपये) लगेगा। यह सस्ता आवास ऑफर बजट पर बड़ा लाभ दे सकता है, ख़ासकर पहली बार ख़रीददारों के लिए।
इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि कैसे GST का विभिन्न संपत्ति प्रकारों और ख़रीददारों पर भिन्न-भिन्न तरीकों से वित्तीय प्रभाव पड़ता है। भविष्य में रियल एस्टेट निवेश करते समय इन कारकों को ध्यान में रखते हुए सही निर्णय लेना आवश्यक है। सही योजना और GST की सही समझ के साथ, घर का सपनाआसानी से साकार किया जा सकता है।